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Chhattisgarh Ke Lokgeet Nritya Evam Sangeet

Chhattisgarh Ke Lokgeet Nritya Evam Sangeet

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SKU: 9789387587274
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-किसी भी प्रदेश की उसकी लोक कला, लोक गीत एवं लोक संगीत उसकी संस्कृति की पहचान कराती है। हमारी पारम्परिक लोक गीत वाचिक परम्परा का एक हिस्सा है। लोक परम्परायें सदियो से चली आ रही है इनकी कोई लिखित परम्परा नही मिलती ये एक वाचिक परम्परा है। इस कृति में छत्तीसगढ़ के संस्कार गीत-सोहर, विवाह, पठौनी, मंगनी बिदाई आदि, ऋतुओं से संबंधित गीत-फाग बारहमासी, सवनाही, रासगीत, प्रेम-विरह से संबंधित गीत-ददरिया, देवार बसदेवा, करमा, बाँसगीत, आदि। उत्सव गीत में छेरछेरा राउतनाच, सुआ नाच, डंडा नाच, धर्म व पूजा में गौरा गौरी गीत एवं नृत्य, पंथीनृत्य एवं गीत, माता सेवा गीत आदि ऐतिहासिक गीत में पंडवानी एवं भरथरी गीत। बालगीत में-फुगडी, धांदी-मुंदी, अटकन-बटकन, काउ-माउ आदि मनोरंजन के लिये-करमा नृत्य एवं गीत डंडा गीत, रास नृत्य एवं गीत आदि है। यह आदिवासी बहुत क्षेत्र है इसलिये यहाँ जनजातिय नृत्य एवं गीत बस्तर एवं सरगुजा जिले में मिलते है। उनका भी विवरण इस कृति की उपादेयता है। जो पाठक वर्ग को इस अंचल के लोकप्रिय लोकगीत, लोकनृत्य एवं लोक संगीत की जानकारी मिलेगी। छत्तीसगढ़ संस्कृतियों का गढ़ है यहाँ पारम्परिक लोक गीत-लोक नृत्य का प्रचलन आज भी है। हमारी जनजातियों के प्रचलित लोक नृत्य एवं लोक गीत अंचल के ग्रामीण क्षेत्रों में परिलक्षित होते हैं यहाँ आने वाले सैलानी उनके नृत्य-संगीत से मंत्रमुग्ध हो जाते है। छत्तीसगढ के पारम्परिक नृत्य, गीत एवं संगीत का समावेश इस कृति उपलब्धि है।
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